अच्छी समीक्षा कंपनी पर सकारात्मक प्रभाव डालती है लेकिन नकारात्मक समीक्षा बेहतर उत्पाद बनाने के लिए सबसे अच्छी होती है
विश्वास सफलता के साथ स्वाभाविक रूप से आते हैं, लेकिन सफलता केवल उन लोगों के लिए आती है जो विश्वास करते हैं
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एम्स्टर्डम तो ज़रूर ही जाइएगा
मुंबई के सीमेंट के जंगल के ऊपर से उड़ान भरने के बाद खाड़ी देशों के उजाड़ खाकी रेगिस्तानों और गहरे नीले समंदरों के ऊपर से होता हुआ विमान मानों पृथ्वी के विशाल कैनवस पर किसी महान कलाकार द्वारा बनाई गई खूबसूरत कृति पर उतरने जा रहा था …अविश्वसनीय रूप से सुंदर ये मेरी ज़िन्दगी की सबसे ख़ूबसूरत लैंडिंग थी …
यक़ीनन
लेकिन यह खूबसूरत सपना बहुत जल्दी खत्म होने को था क्योंकि अब मेरा जमीनी हकीकत से सामना होने वाला था
विशाल एयरपोर्ट आपकी टांगों और धैर्य की परीक्षा लेने के लिए बने होते हैं ,
एयरपोर्ट जितना बड़ा होगा आपकी मुसीबतें भी उसी के अनुपात में होंगी…
कई घंटों के लंबे सफर के बाद विमान से इमिग्रेशन तक करीब एक किलोमीटर की दूरी चलकर तय करने के बाद थके हारे जब इमिग्रेशन काउंटर तक पहुंचे तो वहां करीब 400 से ज्यादा लोगों की भीड़ देखकर होश उड़ गए सिर्फ दो ही इमिग्रेशन अफसर थे जो हर यात्री पर करीब 2 से 3 मिनट लगा रहे थे
मतलब चार घंटे पक्के !मर गए यार किस्मत से एक घंटे बाद दो ऑफिसर और आये खैर साढ़े तीन घंटे बाद नंबर लगा
विदेश में पिछले बीस सालों में किसी लाइन में लगने का यह सबसे लंबा और थकाऊ इंतज़ार था
हल्के आसमानी रंग की शर्ट पर गहरे काले रंग की बुलेटप्रूफ जैकेट पहने सुनहरे बालों में प्रभावशाली दिखनेवाली डच इमिग्रेशन ऑफिसर ने मेरे पासपोर्ट पर निगाह डाली और पन्ने पलटते हुए पूछा हॉलीडे ???
"यस मैडम" …मैंने छोटा सा जवाब दिया और अपने रिटर्न टिकट ,हेल्थ इंश्योरेंस,और ठहरने की बुकिंग के दस्तावेज उन्हें दिए …
अचानक ठहरने की एक जगह पर एम्स्टर्डम से दूर एक गांव का नाम देखकर उनके माथे पर बल आ गए आर यू गोइंग टू स्टे देयर ???यस मैम …हाउ विल यू commute ? पब्लिक ट्रांसपोर्ट …
उसने मुस्कराते हुए मेरे पासपोर्ट पर स्टैम्प लगाया और शानदार हॉलीडेज की शुभकामना के साथ वापस दिया …
मैंने भी सर हिला कर शुक्रिया अदा किया और आगे बढ़ गया.
मैं और मेरी पत्नी समान घसीटते हुए तेज़ क़दमों से एयरपोर्ट से शहर जाने वाली ट्रेन में दाख़िल हुए .ट्रेन एयरपोर्ट से ही चलनी थी इसलिए ट्रेन लगभग खाली थी मेरी सीट के सामने करीब 65 वर्षीय चुस्त दुरुस्त नौजवान बुजुर्ग ,
सफेद फ्रेंच कट दाढ़ी और कंधे तक झूलते सफेद बाल , चौड़ी बेल्ट , कसी हुई चमड़े की पतलून और बिना बाहों का जैकेट जिससे झांकती नंगी बाहों में ऊपर से नीचे तक अजीब ओ गरीब किस्म के टैटू जिसमें सांप बिच्छू से लेकर ,जंगली जानवर और चेहरे यहां तक कि तस्वीरें एक दूसरे में गुत्थम गुत्था मौजूद थीं ,
गले में लटका एक भारी भरकम लॉकेट , तीन उंगलियों में मोटी अंगूठियां ,काऊ बॉय जूते,
काले कैनवस में बंद एक लंबा गिटार , "बुज़ुर्ग रॉक स्टार" ने अपने साथ वाली खाली सीट पर अपना हैट उतारा और गिटार को अपने कंधों से उतार कर अपनी दोनों टांगों के बीच फर्श पर टिका दिया …
मैंने मुस्कराते हुए उनकी ढलती हुई जवानी में मजबूत बाहों की "आर्ट गैलरी" पर प्रशंसा भरी निगाह डाली …
उन्होंने मुझे गले के नीचे से हॉलीवुड के बुज़ुर्ग चरित्र जैसी घरघराती आवाज़ से अभिवादन किया गुड मौनिंग … इंडिया
मैंने मुस्कराते हुए हां में सर हिलाया इतने में उसने अपनी चमड़े की जैकेट के बटन खोलते हुए अपनी शेव की हुए छाती पर उकेरा हुआ गणेश जी का टैटू दिखाया ,और आंखों में चमक लाते हुए कहा …
हाऊ इज़ थिस ???
wow …अमेजिंग …मैंने कहा …
मेरी पत्नी बुदबुदाई … बाहों पर तो "शिवजी की बारात" है और सीने पर गणेश जी …
मैं श्रीमती जी के "सेंस ऑफ ह्यूमर" पर मुस्कराया…
इतने में एक पांच फुट नौ इंच की मर्दाना चेहरे वाली गोरी कन्या, पतले बारीक गुलाबी होंठ, सुनहरे बालों की दो स्कूली चोटियों के अंत में दो अलग रंग के रिबन बांधे , पूरी बाहों की आसमानी टी शर्ट के नीचे गुलाबी निकर , और यह क्या एक पैर में नीला और दूसरे पैर में गुलाबी जूता ??? ,
दोनों कानों में ईयरफोन लगाए सामने की सीट पर आकर बैठ गई और उसके कानों में घुल रहे संगीत की धुन पर अपने जूतों को टक टक कर रही थी .लापरवाही भरा ऐसा अंदाज़ कि मानो दुनियां उसकी ठोकर में हो…
लेकिन उसकी उसकी टांगों पर घने बाल उसके "कुछ और" होने की गवाही दे रहे थे ,मेरी पत्नी ने धीरे से अपनी कोहनी मेरी कमर में दबाई …देख रहा हूं … मैं बुदबुदाया…ये लड़का है या लड़की ??? श्रीमती जी ने उत्सुकता से पूछा
दोनों … मैंने ट्रेन की छत की तरफ देखते हुए जवाब दिया
इतने में एक थोड़ी वजनी लेकिन आकर्षक अश्वेत महिला तेज़ क़दमों से दाखिल हुई . घने बालों से गूंथी हुई करीब सौ से ज़्यादा बारीक चोटियां और हर छोटी के आख़िर में एक सफेद मोती ,
गहरी लाल लिपस्टिक गले में रंग बिरंगे मोतियों की माला और बड़े बड़े फूलों वाली प्रिंटेड मिडी ,मजबूत कद काठी और नीचे मोटी हील वाली खूबसूरत काली सैंडल …
श्रीमती जी एकटक उसे देखती ही रह गईं.अचानक ऑटोमैटिक दरवाजे धपाक से बन्द हुए और ट्रेन चल पड़ी …
दो तीन स्टेशन गुजरने के बाद ट्रेन का वह कोच एक रंग बिरंगी दुनियां में बदल चुका था …
अपनी साइकिल के साथ सफेद ब्वॉय कट बालों वाली दुबली पतली श्वेत बुज़ुर्ग महिला …
आपस में बतियाते दो चार लंबे और स्मार्ट नौजवान लड़के…
दीन दुनियां से बेखबर एक दूसरे की आंखों में झांकता एक दूसरे को सरेआम चूमता हुआ खूबसूरत जोड़ा …
माइक टायसन जैसे विशाल और सुडौल जिस्मवाले तीन अश्वेत युवक …
कॉर्पोरेट सूट में गंभीर बातचीत करते दो भद्र पुरुष .
जीरो फिगर की अवधारणा को ठोकर लगातीं हष्ट पुष्ट और बेफिक्र युवतियां ठहाके लगा रही थीं
नीली आंखों वाले जुड़वां बच्चों को पयार में लिए अकेली मां …
पता नहीं क्या खा के पैदा करती हैं ऐसे बच्चे , देखो न , कैसे चुपचाप शांत बैठे हैं , हमारे वाले तो पूरे कोच को ही सर पर उठा लें …श्रीमती जी बोलीं सही कहा , मैं मुस्कुराया मगर एक बात नोटिस की तुमने ??? श्रीमती जी धीरे से बोलीं
यहां किसी को किसी की पड़ी नहीं है सब अपने में मस्त हैं , कोई किसी को आंख उठा कर भी नहीं देखता , है न ??? श्रीमती जी ने सहमति की उम्मीद से मेरी तरफ देखा …
और नहीं तो क्या … एक तुम हो जो निकलने से पहले बार बार पूछ रही थीं, ये टॉप बॉटम के साथ जाएगा कि नहीं ???
तुम भी तो पूछ रहे थे , ये शर्ट जींस के साथ मैच कर रही है कि नहीं मैडम ये एम्स्टर्डम है यहां कोई किसी को "जज" नहीं करता …तुम क्या पहनते हो , कैसे दिखते हो , किसी को खाक परवाह नहीं …यही इस देश की खूबी है …. मैंने हमेशा की तरह अपना ज्ञान बघारना शुरू कर दिया हां …"इन सबको देख के तो लगता है हमीं पागल हैं …"
श्रीमती जी ने अनजाने में ही दहला मार दिया !!!मेरे लिए यूरोप की यात्रा किसी धार्मिक यात्रा से कम नहीं होती …
मेरा छुट्टियां बिताने का तरीका थोड़ा अलग है पिछले कई वर्षों से करीब हर साल मैं बीस से पच्चीस दिन यूरोप के किसी एक देश में सिर्फ दो शहरों में गुजारता हूं…
"एयर बी एन बी" द्वारा शहर के किनारे लेकिन बस या ट्राम स्टॉप के बिल्कुल नजदीक कुदरती नजरों के बीच दस दिन के लिए एपार्टमेंट किराए पर लेकर रहना अविश्वसनीय रूप से सस्ता पड़ता है
यूरोप की यात्रा भी किसी अन्य भारतीय धार्मिक यात्रा की तरह पहले आपकी शारीरिक और मानसिक हदों की परीक्षा लेती है …और उसके बाद आपको साक्षात ईश्वर के दर्शनों का अहसास भी देती है
मेरी विदेश यात्रा का कार्यक्रम हमेशा बेहद कम खर्च में ज़्यादा ज़्यादा समेट लेने की कोशिश होती है .
सस्ते टिकट की कोशिश में खाड़ी देशों से होती हुई लंबी हवाई यात्रा का रिटर्न टिकट ,
पहले से बुक किए हुए अपार्टमेंट थोड़ा सा जरूरी राशन और कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बिना सस्ते सार्वजनिक परिवहन का भरपूर उपयोग
और मूड के हिसाब से रोज नया कार्यक्रम तय करना…
किसी भी ट्राम, बस या मेट्रो में बैठ जाना और मनचाही जगह पर उतर जाना और नई नई जगहें एक्सप्लोर करना ,
जिसमें वहां की खूबसूरत संकरी गलियां, शांत और खूबसूरत हरियाली से भरपूर रास्ते , रास्तों के दोनों तरफ दूर तलक लंबी कतारों में खड़े अनुशासित सिपाहियों की तरह घने, लंबे एक ही आकार के पेड़ …चमकते पत्तों पर धूल का नामोनिशान भी नहीं…
यहां के पेड़ भी देखो तो कैसी तमीज से खड़े रहते हैं??? हमारे यहां तो पेड़ भी सीधे खड़े नहीं रहते…श्रीमती जी की अजीबोगरीब टिप्पणी पर मैं मुस्करा भर दिया
साफ-सुथरे नीले पानी की बहती नदियां और झीलें, किसी रंग बिरंगे बगीचे से भी ज़्यादा खूबसूरत और यहां तक कि कब्रिस्तान भी रंगबिरंगे ,सैकड़ों किस्म के अद्भुत फूलों से भरपूर …
एक ही शहर के चप्पे चप्पे को दिल खोल कर देखना…
किसी नदी के आसमानी रंग जैसे साफ पानी किनारे निडर पक्षियों के साथ हरी घास पर चादर बिछा कर घंटों बैठे रहना…
(तस्वीर स्रोत - मेरा सेलफोन * स्थान - कॉट्सवॉल्ड)
रोज़ सुबह उठकर वहां के विशाल सुपर बाजार से दसियों तरह की ब्रेड… मक्खन ,
कमाल के रंगबिरंगे जैम …
नकली जैसे दिखने वाले असली , बेदाग और खूबसूरत ताजातरीन फल , और सब्जियां खरीदने का आनंद…
कुछ समय के लिए वहां का निवासी होने जैसा एहसास देता है.
अपनी पसंद का ब्रेकफास्ट लंच का सामान स्थानीय बाजार से खुद खरीद कर लाना, फ्लैट की खिड़की से झील का नज़ारा देखते हुए और वाइन के सिप मारते हुए ब्रेकफास्ट और लंच तैयार करना, न सिर्फ बेहद किफायती है बल्कि छुट्टियां गुजारने एक बेहतरीन तरीका भी है
यहां तक कि वहां के वीरान और आलीशान बगीचों में भी खाना गरम करने के उपकरण उपलब्ध है बस एक सिक्का डालिए और हॉट प्लेट चालू…
स्थानीय लोगों को करीब से देखना और उनसे बातचीत करना
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के "पास" के पूरे पूरे पैसे वसूल करना
यूरोप में दाखिल होते ही शुरुआती दो दिनों में सार्वजनिक बसों ,मेट्रो और ट्राम के मकड़जाल आपको पागल कर देने के लिए काफी हैं
लेकिन वही सिस्टम जब आपको समझ में आने लगता है तो मन ही मन वहां की पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का अद्भुत समन्वय देखकर उसे बनाने वालों को नमन करने की इच्छा होती है,
यूरोप के किसी भी शहर का असली मजा दो दिन के बाद आना शुरू होता है ,मगर अफसोस ज्यादातर पर्यटक तीसरे दिन ही उस शहर से निकल जाते हैं
मुझे याद नहीं मैं यूरोप में आखिरी बार कब टैक्सी में बैठा था …
टैक्सी में एयरपोर्ट से अपने गंतव्य तक पहुंचने के अक्सर पांच हजार रुपए हो जाते हैं
उन्हीं पांच हजार रुपए में दो व्यक्तियों की सात दिन तक असीमित बस ट्राम और मेट्रो की यात्रा ,
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में नए नए और रंग बिरंगे दुनियां भर के नागरिकों के साथ सफर करने का अहसास सचमुच अद्भुत है …
ये आनंद आपको "रेडी मेड" यात्रा में कभी नहीं मिल सकता
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